The वॉयस खास
अबुआ अखाडा
अहंकार और हुंकार
23 अक्टूबर झारखण्ड के विधानसभा चुनाव के लिये नामांकन का मेला..राजनेताओं की टोली..भीड़ और भाड़े की भीड़…भीड़ का रेला उड़नखटोला! व्यवस्था की विचित्र अवस्था जिसमे पत्रकार स्वतंत्र रूप से कार्य भी नही क़र सकते हैं..अजब तंत्र का विचित्र मंत्र इस चुनाव मे अभिमंत्रित हो रहा है.. टिकट की आपधापी मे कोई रो रहा हैं तो कोई आपा खो रहा हैं..जली हुई रस्सी मे भी बल दिख रहा हैं..तो इस चुनाव मे अद्भुत अद्भुत दल भी दिख रहे हैं..! और सबसे जरुरी बात अहंकार की हुंकार भी स्पष्ट परिलक्षित हो रही है नेता जी को वोट चाहिये पर जनता का अभिवादन स्वीकार नही हैं,शुभकामनाओ के लिये बढ़े हाथ से हाथ नही मिल रहे हैं न दिल से दिल… चंगू-मंगू पिंटू-चिंटू साथ हैं..वास्तविक वोटर का पता नही! अहंकार की हुंकार ऐसी हैं अभी पर्चा ही दाखिल हुआ हैं जीत गया भाई जीत गया के नारे गगन भेदन करने लगे हैं पूत के पाव पालने मे दिखने लगे हैं… पुरे माहौल मे ऐसा लग रहा हैं लोकतंत्र की मालिक जनता तो जैसे कुछ हैं ही नही लगता हैं नेता जी का पावर अभी भी सावर की तरह बह रहा हैं.. अरे भाई आप अहंकार की हुंकार ऐसे न लगाइये.. चुनाव जीतेंगे तो आप पांच साल राज करेंगे..ये दौर जनता का हक हैं उसे ठंडे दिल से फैसले लेने दीजिये.. जनता जो भी फैसला लेगी अच्छा ही लेगी..
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अबुआ अखाडा
के लिये
Jitendra jyotishi