आज दिल से गंभीरता से ठहर कर सोचिये आज झारखण्ड मे राजनितिक दलों मे विचार कहा और विचार धारा कहा हैं? राजनितिक दल विचारों के साथ बनते हैं और राजनितिक दलों मे विचार धारा की ही लड़ाई ही सर्वोपरि होती हैं,लेकिन झारखंड जिसे राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाता हैं यहाँ विभिन्न दलों के बड़े बड़े कई नेताओं मे न विचार मिलेंगे मे विचारधारा इसी का परिणाम हैं यहाँ दल और दिल दोनों पल पल मे बदल जाया करते हैं इसे हम सीधे और साफ तौर पर कह सकते हैं स्वार्थ के तूफान मे विचार धारा सुनामी की शिकार होकर तहस नहस हो जाया करती हैं! झारखण्ड के समग्र विकास मे यहीं सबसे बड़ी बाधा हैं निहित राजनितिक स्वार्थ की आंधी ने यहाँ समग्र विकास नही होने दिया हैं यहीं वह महत्वपूर्ण कारण हैं की विधायिका पर कार्यपालिका हावी प्रतीत होती हैं.. बड़े बुजुर्गो ने कहा हैं विचार धारा स्थायी रहने से सत्ता का स्थायित्व सदैव कायम रहता है.. पर अजब झारखण्ड की गजब कहानी हैं जब किसी की टिकट कट जाती हैं तो राजनीति की धारा और विचार धारा दोनों लोग एक किनारे रख क़र जन भावना से खिलवाड़ करते हुये लोग दल और दिल दोनों बदल लिया करते हैं वैसे हमें अगर झारखंड को स्थायी विकास की ओर बढ़ना हैं तो यहाँ स्वार्थ की राजनीति मे डूबे लोगो/ राजनितिक दलों को सबक सीखना आवश्यक हो जाता हैं,
और ऐसे मे विशेष राजनितिक क़ानून लाने की आवश्यकता भी आवश्यक दिखलाई पड़ती हैं जिसमे ऐसी व्यवस्था हो चुनावी घोषणा होने के बाद किसी भी दल का कोई भी राजनेता दल न बदल सके…
The वॉयस खास
अबुआ अखाडा
के लिये
Jitendra jyotishi