विधानसभा चुनाव: सिंहभूम के सात सवाल – अबुआ अखाडा

Jetendra Jyotishi

सिंहभूम की विभिन्न विधानसभा जहाँ लोग जीरो बेलेंस अपने साथ लेकर आते हैं, और पांच सालो के कार्यकाल मे करोड़ो कमा क़र मालामाल हो जाते हैं जनता अगर चुनावी पर्चा और घोषणा पत्रों की जाँच करे.. वोट देने से पहले करनी भी चाहिये कैसे जीरो बेलेंस वाले 1840 दिनों बाद ही धनवान हीरो कैसे बन जाया करते हैं और कैसे झोपडी पांच सालो मे ही दिव्य महल मे तब्दील हो जाया करती हैं…और विधायक जी हो या सांसद अपने आप को गरीब ही बताते रह जाते हैं…. ऐसे सात महत्वपूर्ण सवाल हम आज से लेकर आ रहे हैं सिंहभूम की विभिन्न विधानसभा की जनता और वैसे अहंकारी ओवर कॉन्फिडेंस धारी नेताओं के लिये जो जनता के फैसले से भी एक कदम आगे अपनी जीत को तय मान क़र पिंटू पार्टी करते हुये रोज रात को ढ़ोल नगाड़ा बजाते हैं.. सात सवाल सिर्फ आप से माइक लगा क़र किये जाने वाले सवाल नहीं होंग! हम उनकी (अहंकारी प्रत्याशी )नज़रो मे छोटे मीडिया धारी लोग आपकी अंतरात्मा से पूछेंगे |

पहला सवाल – सोचिये 24 साल के झारखण्ड मे सन 2000 से तत्कालीन बिहार मे स्थापित इस विधानसभा मे मे बिरसा क़ृषि विज्ञान केंद्र मौजूद रहने के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की जगन्नाथपुर को कृषि हब बनाने की घोषणा के बाद 24 सालो मे संपूर्ण जगन्नाथपुर विधानसभा मे किसान बदलहाल क्यो हैं?

दूसरा सवाल- इसी विधानसभा के जामदा का श्रमिक अस्पताल आज बुरे दौर से क्यों गुजर रहा है, जबकि यही के जनप्रतिनिधि सांसद भी रहे हैं और इसी विधानसभा ने झारखंड को मुख्यमंत्री भी दिया हैं?

तीसरा सवाल- 2019 से 2024 के कालखंड मे इस विधानसभा से कांग्रेस के विधायक रहे राज्य मे उनकी सरकार भी रही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी उनके ही रहे!
फिर क्यों और किन कारणों से जगन्नाथपुर की पूरी विधानसभा को स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ा और क्यों लोग बेहतर इलाज के लिए चंपुआ और क्योंझर जाते हैं? जबकि सच यह है कि स्वास्थ्य सुविधाओं को स्थापित करने के लिए विगत 24 वर्षों मे झारखंड सरकार ने इस विधानसभा में अरबो रुपए खर्च किए हैं!

चौथा सवाल- अपना मत देते वक़्त ईवीएम की बटन दबाने से पूर्व गंभीरता से सोचियेगा जरूर.. क्या कारण हैं यहाँ एक कस्तूरबा विधायल के लिये लोगो को संघर्ष करना पडा था,और क्यों इस विधानसभा मे अदद स्कुल/कॉलेज की स्थापना नहीं हो पायी..?

पांचवा सवाल – जनप्रतिनिधियो ने इस विधानसभा मे मौजूद उन स्वयंसेवी संस्थाओं पर रोक क्यों नहीं लगाई..जिन्होंने डीएमएफटी फंड के अलावे सरकार अन्य अरबो का फंड लेते हुये सारंडा के बच्चो को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया था पर हुआ कुछ नहीं?

छठा सवाल- जिस विधानसभा ने सड़क के लिये 2005/06 मे सरकार बदल दी उसी विधानसभा मे ग्रामीणों सडके बदहाल क्यों है?

सातवां सवाल- यह सबसे बड़ा और चिंतन करने वाला सवाल हैं, बंद पड़ी लौह खदानो को जनप्रतिनिधि गण क्यो नहीं प्रारम्भ करवा पाय,और अंदर खाने कोईबात थी तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया?

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